Let's have a look "what is life?" ज़िन्दगी एक सफर है सुहाना, यहाँ कल क्या हो किसने जाना। बहुत ही सही पंक्तिया प्रतीत होती हैं ये। वैसे तो किसी भी प्राणी के लिए जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक का जो अंतराल है वही ज़िन्दगी है। मानव ही एक ऐसा प्राणी है, जो पांच तत्वों से बना है। जल पृथ्वी अग्नि वायु आकाश सोचने और निर्णय लेने की क्षमता केवल मानव प्राणी में ही होती है। इस ब्रम्हांड में किसी भी चीज़ का होने का कुछ न कुछ मकसद जरूर होता है। उसी प्रकार ज़िन्दगी का भी होता है। हम स्वतंत्र है जो इच्छा हो कर सकते है। हम अपनी ज़िन्दगी में कई तरह के किरदार निभाते है। जैसे बालक, विद्यार्थी , पुत्र, भाई, मित्र, प्रेमी, पति, पिता, चाचा, मौसा, फूफा, दादा, नाना, और अंत में एक मृत शरीर का किरदार निभाते हुए हम अपनी ज़िन्दगी को एक विराम देते है। इन्ही बीच हम जैसा करियर चुनते है उसका भी किरदार निभाते है। जैसे कोई व्यापारी, अध्यापक, डाक्टर, इंजीनियर, वकील इत्यादि बहुत से और भी है। हम बस एक काम करके अपनी ज़िन्दगी को बहुत ही अच्छे से जी सकते है,...