*जिस्म से होने वाली मुहब्बत का इज़हार आसान होता है… रुह से हुई मुहब्बत को समझाने में ज़िन्दगी गुज़र जाती है….. *सुना था मोहब्बत मिलती है मोहब्बत के बदले,हमारी बारी आई तो, रिवाज ही बदल गया *उस मोड़ से शुरू करनी है फिर से जिंदगी, जहाँ सारा शहर अपना था और तुम अजनबी… *ज़्यादा कुछ नहीं बदला ” उसके और मेरे ” बीच में पहले नफरत नहीं थी और अब ” प्यार ” नहीं है। *इन्सान ज़िन्दगी में सिर्फ एक बार ही मोहब्बत करता है …. बाकी की मोहबत्तें वो पहली मोहब्बत भुलाने के लिए करता है। *कभी कभी कितनी बातें होती हैं कहने को … जब कोई सुनने वाला नहीं होता है । *ना जाने कैसी नज़र लगी है ज़माने की, वजह ही नही मिल रही मुस्कुराने की….! *दर्द सहने की अब कुछ यूँ आदत सी हो गयी है कि अब दर्द न मिले तो दर्द सा होता है। *वो ना ही मिलते तो अच्छा था… बेकार में मोहब्बत से नफ़रत हो गई… *खामोश बैठें तो लोग कहते हैं उदासी अच्छी नहीं,ज़रा सा हँस लें तो मुस्कुराने की वजह पूछ लेते हैं *कितना कुछ जानता होगा वो शख्स मेरे बारे में, मेरे मुस्कुराने पर भी जिसने पूछ लिया की तुम उदास क्यों हो.. *याद आयेगी हमारी तो